मैं तो पी लूंगी चार चार बोतल प्रिय है।
बोतल पियूंगी तुमरे प्रेम की,
नाचूंगी मैं भी तुमको नचाऊंगी,
नशा है मुझको तुमरे प्रेम का,
लगा है चस्का मुझे प्रेम का,
घूम घूम नाचूंगी तुमको नचाऊंगी,
तुम्हारे साथ में भी पागल बन जाऊंगी,
होने ना दूंगी,,,,,,,,
राधा के जैसी चुनरी लहराऊंगी,
मीरा के जैसा एक तारा बजाऊंगी,
झूमूगी सारी रात, निधिवन मैं आऊंगी,
श्रृंगार करके दुल्हन मैं बन जाऊंगी,
होने ना दूंगी,,,,,,,,,,,,
जैसा कहोगे वैसा बन जाऊंगी,
साथ तुम्हारे डफली बजाऊंगी,
बांसुरिया पर तुम्हारे दीवानी हो जाऊंगी,
हर हाल में तेरा साथ मै पाऊंगी,
होने न दूंगी तुमको किसी का,
सौतन से सभी छुटकारा में पाऊंगी,
ध्यान तुम्हारा सारा मै अपने में लगाऊंगी,
होने ना दूंगी,,,,,,
नाम_____ निशि द्विवेदी
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