पैसा पैसा पैसा*****
हाय पैसा पैसा******
पैसे के लिए ही """"
ईमान धर्म है बिकता ....
पैसे से है यारी........
पैसे से है रिश्ता...........
पैसे से ही होता ...
रिश्तो का सौदा......
पैसा पैसा पैसा हाय पैसा पैसा....
पैसा पैसा पैसा वाह रे पैसा पैसा!!!!!!!
चंद कागज़ के टुकड़े .....
और सिक्कों की खनक में .....
लोग बौराय जाते.....
अच्छे लोग भुलाए जाते...
पैसा पैसा पैसा...
वाह रे पैसा पैसा.......
पैसा पैसा पैसा...
हाय पैसा पैसा.....
भावनाओं के परिंदे...
बस धरा पर रेंगते....
पैसे की चमक में ....
लोग अंधे हो जाते ...
पैसों की चमक में...
बिना पंख के उड़ जाते...
वाह रे पैसा पैसा ....
वाह रे पैसा पैसा!!!!!!
पैसे के लिए ही मां-बाप भुलाए जाते...
पैसे के लिए ही ...
जाने कितने दिल तोड़े जाते.....
दूर दूर के रिश्ते पैसे से जोड़े जाते ...
और करीब के रिश्ते पैसे के लिए तोड़े जाते...
पैसा पैसा पैसा वाह रे पैसा पैसा...
कैसा कैसा कैसा पैसे से रिश्ता कैसा....
सब को यह पता है ....
फिर भी भूल जाते .....
खाली हाथ आए थे,,,,,
खाली हाथ ही जाते.....
कैसा कैसा कैसा पैसे से रिश्ता कैसा....
बस जीते जी का रिश्ता....
गिर जाते हैं नीचे ......
कुछ सिक्को के लिए...
हजारों को दुनिया से उठा देते,,,
बस कुछ सिखों के लिए,,,,,,
ऐसा ऐसा ऐसा ....
ऐसा क्यों है होता ,,,,
जन्म की नौछावर से,,,
अंत तक बस पैसा,,,
पैसा पैसा पैसा हाय पैसा पैसा,,,,,,,
पैसा पैसा पैसा पैसे से ही रिश्ता
साहित्यकार ___ निशि द्विवेदी
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