बेटी को ना जीवन देना चाहूंगी।
जो दिन जीवन में अपने देखें,
बेटी के जीवन में ना चाहूंगी।
सुना था पापा रो पड़े थे,
मेरा जन्म सुनने के बाद।
सब ने माथा ठोका था ,
मेरा जन्म होने के बाद।
मां को भी था देखा उदास ,
बेटा होता तो बधाई मिलती ,
नर्स भी बैठी थी उदास,
बड़ा रूआना मंजर था,
सभी बैठे थे उदास,
टुकुर-टुकुर मैं देख रही थी ,
नहीं बोल पाई कोई बात,
गोद में लेकर भैया को,
उसी समय बुआ आई,
गोद में लेकर भैया बोले ,
मेरी प्यारी बहना आई,
बड़ा सुहाना मंजर था,
मैं तो फूली नहीं समाई,
डॉ चंद्रकांता की गोद,
मैं सबसे पहले आई थी,
तीन दिन बाद घर की देहरी पाई थी,
बड़ा सुहाना मंजर था ,
बड़ा लुभावना मंजर था,
गोद में सभी उठा रहे थे,
मेरी आंखों में झांक रहे थे।
पिंकी पिंकी पुकार रहे थे ,
तब जानी मै मेरा पिंकी नाम।
पापा का बिजनेस दौड़ा,
सब बोले घर लक्ष्मी आई।
पापा ने मुझे गोद उठाया ,
बोले घर में लक्ष्मी आई।
मोहनी मुस्कुराहट से मैंने ,
जीत लिया था सब का दिल,
थोड़ी-थोड़ी जब बड़ी हुई ,
रिश्ते नातों की झड़ी लगी।
कोई कहलाए बुआ मासी,
कोई कहे मैं हूं तेरी चाची।
जोर-जोर से ढोल बजे,
जिस दिन मेरी छठी मने।
सोहर के सुर घर में बोले,
बाहर बंदूक पटाखे बोले।
गुब्बारे का बंदर बनवाकर ,
रोज़ एक पापा लाते।
मुंह में मेरे आम चटाकर ,
दादा मुझको रोज हंसाते।
बुआ ,चाचा का पाया प्यार,
सभी का पाया बहुत दुलार। मौसी ,मामा का भी पाया प्यार,
जब-जब गई मैं ननिहाल।
खिलौनों का घर में बन गया स्टोर,
सारी दुनिया में मच गया शोर।
बस्ता लेकर भैया मेरे ,
रोज स्कूल चले थे जाते।
लौट स्कूल से जब घर आते ,
मेरे लिए घोड़ा बन जाते ।
बाज बजाकर डिब्बा घर में,
सबको गाना खूब सुनाती।
गाना बजाना सब गई भूल,
एक दिन मैं भी चली स्कूल।
पाइनएप्पल की बोतल मेरी ,
आर्मी मैन का बैग।
ब्लू कलर की यूनिफार्म ,
सूज रूमाल और टाई बेल्ट।
No comments:
Post a Comment