___ सपने ____
कुछ हंसाते सपने अपने,
कुछ रुला हमें जाते हैं,
कुछ आए बनकर अपने
कुछ बना हमें जाते हैं,
कुछ सजा गए हमको,
कुछ सज कर रह जाते हैं,
कुछ साथ निभाते अपना,
तो कुछ छोड़ चले जाते हैं,
कुछ श्रृजन बन कर आते हैं,
कुछ हमारे बन रह जाते हैं,
कुछ साजन बन रह जाते हैं,
जीवन भर साथ निभाते हैं,
कुछ तकदीर नहीं होते हैं,
वो याद सदा हमें आते हैं,
कुछ तकदीर में हो कर भी,
कुछ हमसे छीन जाते हैं,
कुछ बंद आंखों से दिखते ,
और हमें सोने को कहते,
कुछ खुली आंखों से दिखते,
और हमारी नींद उड़ा जाते हैं,
कैसे-कैसे सपने होते,
सोच हमें हंसी आती है,
कुछ अन सुलझे सपने ,
हमें और उलझा जाते हैं,
कुछ दिवास्वप्न होते हैं ,
जो पूरे कभी नहीं होते हैं,
कुछ सुबह के सपने होते हैं,
वह दृढ़ संकल्प से पुरे होते,
विश्व साहित्य सेवा संस्थान अंतर्राष्ट्रीय सचिव____
निशि (पिंकी) द्विवेदी
No comments:
Post a Comment