मैं तेरी ही तो बेटी हूं,
मैं तुझसे प्यारी प्यारी बातें ,
करने को तरसती हूं,
मां तू मुझसे क्यो इतनी ,
नफ़रत करती ,
मैंने तेरा ही कहना माना ,
तेरी ही पसंद से ब्याह रचाया,
ससुराल में सारे रिश्ते को ,
अच्छे से निभाया,
जो तूने सिखाया,
वही तो दोहराया है ,
याद है मुझे तेरे हाथों के बने ,
खाने का स्वाद ,
सोते समय मेरे बालों को ,
तेरा धीरे से सैहलाना,
मेरे सर के नीचे वह धीरे से,
तेरा तकिया लगाना,
ठंड में मुझे कंबल में छुपाना, वह गर्मी में तेरा पंखा डोलाना , मेरी शादी कर,
मुझसे लिपट कर सीने से लगाना,
आज तेरा मुझसे यूं अचानक,
खफा हो जाना,
मां तू मुझे क्यों नहीं समझती,
मैं तेरी ही तो बेटी हूं,
तेरी हर खुशी को,
पूरी शिद्दत से निभाया है,
तुम मेरे सपनों को,
कभी नहीं समझी,
तेरे लिए मैंने रौंद डाले सपने,
जो देखे थे खुली आंखों से,
मां तू मुझे क्यों नहीं समझती,
मैं तुझसे प्यारी -२बातें करने को तरसती,
तू मुझसे क्यों इतनी नफरत करती,
मां तू मुझे क्यों नहीं समझती,
तुझे लगता है कि मैं नहीं समझती,
मां तू मुझे अननोन नंबर से कॉल करती,
मेरी हेलो को तू खामोशी से सुनती ,
तू जवाब नहीं दे सकती,
मां तू मुझसे क्यों इतनी नफरत करती ,
मैं तेरी ही तो बैठी हूं
रचनाकार ््््््््््््््््््््््््््््््््््््््््् _ निशा तिवारी
No comments:
Post a Comment