दिल में जगह छोटी पड़ गई
हमको अब यह करना है,
माटी से ही बने हम हैं ,
माटी में हमको मिलना है
माटी में हमको मिलना है।
ईर्ष्या द्वेष से भूलकर हमको,
छोड़ द्वेषभावों को अपने,
सबके दिलों में हमको रहना है,
खोल दिलों के द्वारों को अपने,
अपनों के दिलों में हमको बसना है,
दिलों में हमको बसना है।
पहले सोते थे हम जल्दी ,
और सुबह जग जाते थे,
चकाचौंध आराम में हम तो ,
भूल गए वह बातें सारी,
अपनी मस्ती में हम रहते,
खुशियां सभी से छुपाते हैं,
वह भाईचारे की बातें ,
मिलकर साथ बैठते थे ,
सोते जागते खाते पीते
और साथ हम रहते थे,
एहसान में दबकर सब मिल,
साथ काम हम करते थे,
लड़ते थे झगड़ते थे ,
लाठी डंडे चलते थे ,
और फिर हो एक जाते थे
आज चलाकर गोलियां हम,
क्रूर बहुत बन जाते हैं,
भारत मां के लाल हो तुम,
काम इतना कर डालो
भारत मां के बेटों तुम
कुछ ऐसा काम कर डालो
अपने-अपने दिलों से भैया,
नफरत को मिटा डालो
नफरत को मिटाना लो,