Friday, 31 July 2020

ओ री सखी मैं भी तेरे जैसी होली,

ओ री सखी वह गुजरा जमाना,
क्लास में पीछे बैठकर बतियाना,
साथ बैठ लेक्चर मिस करना,

तेरी कोयल सी मीठी मीठी बोली,
 साथ इमली की खट्टी मीठी गोली,
दोनों की चीजें सेम टू सेम होती,

वह तेरा इंतजार कराना ,
फिर होता था रूठना मनाना,
तेरा मुझ पर हुकुम चलाना,

ओ री सखी कॉलेज का नजारा,
 हाथ लगा खुशियों का पिटारा,
मानो जैसे कुबेर का खजाना,

बड़ा प्यारा था साथ तुम्हारा,
 रिमझिम बरसात का फुआरा,
एक छतरी में दोनों का आना,

ओ री सखी सर्दी का सितम,
कैंटीन के वह गरम समोसे,
 ठंडी उंगलि तेरे गालों को नोचे

ओ री सखी समय निकालो ,
एक बार इसे दोहरा डालो,
साथ बैठ पकौड़े खा लो,

             नाम____निशि दि्वेदी

बहू बेटी में फर्क

मेरे घर किसी की बेटी आएगी,
बेटी नहीं वह बहू कह लाएगी,
सारा प्यार मेरा वह पाएगी,
मेरे घर पर हुकुम चलाएगी,

मेरे घर किसी की बेटी आएगी,
 बेटी नहीं वह बहू कह लाएगी ,
बेटियां तो आती है जाने के लिए,
 बहु इस घर को अपना बनाएगी।

मेरे घर किसी की बेटी आएगी,
 बेटी नहीं वह बहू कहलाएगी ,
 मेरे आंखों की चमक बढ़ाएंगी ,
मेरा समय वह मुझे याद दिलाएगी,

मेरे घर किसी की बेटी आएगी,
 बेटी नहीं वह बहू कह लाएगी,
जो नहीं मिला मुझे, उसे वह पाएगी,
सारी कहावतें वह झूठलाएगी,


मेरे घर किसी की बेटी आएगी,
 बेटी नहीं वह बहू कह लाएगी,
फिर से मेरा बचपन लौटाएगी,
मेरे वंश को आगे बढ़ाएगी,

मेरे घर किसी की बेटी आएगी ,
बेटी नहीं वह बहू कह लाएगी ,
मेरे बेटे को दूर ना ले जा पाएगी ,
इतना प्यार यहां वह पाएगी,

मेरे घर किसी की बेटी आएगी ,
बेटी नहीं वह बहू कह लाएगी,
इस घर की रौनक वह बढ़ाएगी,
दिलों में सबसे ऊंचा स्थान पाएगी,

मेरी बेटी भी किसी के घर जाएगी,
बेटी नहीं वहां बहू कह लाएगी,
संस्कारों को दहेज में ले जाएगी
उस कुल का मान बढ़ायागी,

Wednesday, 22 July 2020

कान्हा तेरे प्यार में

कान्हा मेरो रसिया,

मेरो मन बसिया,

छोरो ब्रिज को बड़ों निरालो,

कोई इसको अपना बना लो,

सूरत से बड़ों भोलो भालो,

राधा को प्रिय मोहन नाम वालो,

मोरे नैनन में बसी छवि वालों,

 निशि कृष्ण नैनन में बसो सदा बसो,

Saturday, 11 July 2020

क्या कमी है प्यार में मेरे,

नाम____  नििििििश द्विवेदीी

क्या कमी है प्यार में मेरे,
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क्या कमी है प्यार में मेरे,
आजकल आते नहीं क्यों ख्वाब में मेरे,
चाहा था तुम्हें इतना कोई चाह न सके जितना,
फिर भी दिल जलाते हो मेरा,
रूप तुम्हारा लगे निराला,
 फिर भी हृदय में बस आते नहीं हो,
क्या खता हमसे हुई है आज बता दो,
 कभी तो अपने नैनों में बसा लो,
जब आती हूं दर तुम्हारे ,
तुम मुझे देखते ही नहीं हो,
 कभी तो अपने आंखों के दर्पण में,
 मुझे मेरा चेहरा दिखा दो,
सब पर दया करी है तुमने ,
मुझ पर भी अपनी दया दिखा दो,

Friday, 3 July 2020

नारी का सम्मान करो , मत उसका अपमान करो।

नारी का हमारे जीवन में विशेष योगदान है हर पुरुष की सफलता के पीछे एक नारी की हाथ होता है सदियों से ऐसा होता है आगे भी होता रहेगा हमारी आज  की कविता  का टॉपिक है नारी।

पुरुष की हर सफलता में, 
                                 नारी की कहानी है।

यह  नारी की  कहानी  है,
                                  बस मेरी जुबानी है।

पिया के साथ जो है साख पर बैठी,
               है तिनका तिनका पर हक जिनका,

अपनी पहचान को खोकर ,
                              नई पहचान बनाती है।

विशाल वृक्ष को बनाने,
                              के लिए बीज मरता है।

                 नाम____निशि द्विवेदी

सफलता की कहानी है नारी।

पुरुष बड़ा महान है,
                           फिर भी नारी का सम्मान है।

 पुरुष विशाल पर्वत के समान है ,
                              नारी ममता की दुकान है।

पुरुष कठोरता और,
                        नारी कोमलता की पहचान है।

पुरुष चलने का नाम है ,
                               और नारी पूर्ण विराम है।

पुरुष  पृथ्वी का सम्राट है,
                             फिर भी नारी का गुलाम है।

क्योंकि नारी  प्रसन्न है तो तुम पर वारि है।
और अगर नाराज है तो तुम पर भारी है।।

पुरुष पर नारी प्रसन्न है,
                              तो जीवन में हरियाली है।।

पुरुष से नारी नाराज तो ,
                                अधिकारी काली रात है।।

 पुरुषों अगर रहना हो चंगा,
                                 तो मत लेना नारी से पंगा।

                                 नाम____निशि दि्वेदी

Thursday, 2 July 2020

गुलाबी बादलों की छटा निराली।

 बहुत अच्छा था बादलों को कुछ नए रंगों में देखा बहुत अच्छा लगा इसलिए मैंने एक तस्वीर खींच ली मन मुताबिक आज बादलों पर कुछ लिखने की इच्छा हो गई है।
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गुलाबी बादल,
         जो मैंने देखा,
                 मन मेरा पागल मचल गया।
रंग-बिरंगे,
       बादलों में ,
           ❤️ दिल मेरा प्यारा मचल गया।

चारों दिशाओं में,
         नजर घुमाई तो,
                दिल से वाह वाह निकल गया।

आसमानी से,
       हुआ गुलाबी ,
                  देखो रंग कैसा निखर गया।

क्षण में लगता,
       धुआं धुआं सा ,
                    छड़ में देखो शिखर लगा।

निरंतर बदलता,
            ही है रहता,
                    इस पल में देखो क्या लगा।

उदास आंखें थी,
          कुछ पहले तक,
                देख कर मन मेरा मचल गया।

आसमानों में ,
           टिक गई आंखें ,
                        प्रकृति से  लव हो गया।

कैसा खुशनुमा सा,
            हुआ है मौसम,
                  दिल चिड़िया सा चहक गया।

छटा निराली,
         होती बादलों की ,
                      निराला मौसम लगने लगा।

                             नाम____निशि द्विवेदी

ना था मंजूर दिल देना,

नहीं था दूर का रिश्ता,
                     कोई अपना नहीं थे तुम,

बड़ा महंगा पड़ा था इश्क, 
                       मेरा सपना हुए थे तुम,

हर पल मुस्कुराती थी,
                  रो कर तकिया भिगाती थी,

दिल में महसूस करती थी ,
                     कुछ ना मुंह से कहती थी,

बड़ा महंगा पड़ा था इश्क ,
                           मेरा सपना हुए थे तुम,

ना दिखते थे तुम सामने ,
                       तुम्हें ही ढूंढती रहती थी,

समंदर तुमको माना था,
                         बनी नदियां तुम्हारी थी ,

तुझे अपना समझती थी,
                         मेरा अपना नहीं थी तुम,

लगाकर मोबाइल में फोटो,
                         उसे बस जूम करती थी,

बड़ा कमजोर था इश्क़,
                           उसे सबसे छुपाती थी,

तुम्हें अपना समझती थी, 
                            मेरा अपना नहीं थे तुम,

छुपाकर तकिए में फोटो,
                       तेरे ख़्वाबों को बुनती थीं,

करके बंद आंखों को,
                            बस जागती रहती थी,

तुम हकीकत ना बन पाए,
                      मेरा सपना ही रह गए तुम,

                            नाम___ निशि द्विवेदी 

 

Wednesday, 1 July 2020

खुशी का हर रंग तुम्हारे संग संग हो।

अगर जिंदगी हो,
                   तेरे संग संग  हो,

अगर मोहब्बत हो,
                    तेरे संग संग हो,

जिंदगी का हर रंग,
                     तेरे संग संग हो,

जिंदगी की हर जंग में,
                     तुम् संग संग हो,

जिंदगी की फुलवारी में,
                 तुम हम सदा संग हो,

फर्क सिर्फ इतना हो,
                      गुलाब तेरे संग हो,

और सारे कांटे,
                 मेरे संग हो,

निशा का हर पहर,
                  तुम्हारे संग संग हो,

दिन के उजाले में भी,
                     तुम्हारा संग संग हो,

भंग कभी ना हो,
                सदा तुम्हारा संग संग हो,

भांग का तरंग हो,          
                    जब तुम संग संग हो,
  
                               नाम____ निशि द्विवेदी

खोने का डर

जितनी शिद्दत तुम्हें पाने की थी                 उससे ज्यादा डर तुम्हें खोने का है बस यही है कि तुमसे लड़ती नहीं           तुम यह ना समझना कि...