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गुलाबी बादल,
जो मैंने देखा,
मन मेरा पागल मचल गया।
रंग-बिरंगे,
बादलों में ,
❤️ दिल मेरा प्यारा मचल गया।
चारों दिशाओं में,
नजर घुमाई तो,
दिल से वाह वाह निकल गया।
आसमानी से,
हुआ गुलाबी ,
देखो रंग कैसा निखर गया।
क्षण में लगता,
धुआं धुआं सा ,
छड़ में देखो शिखर लगा।
निरंतर बदलता,
ही है रहता,
इस पल में देखो क्या लगा।
उदास आंखें थी,
कुछ पहले तक,
देख कर मन मेरा मचल गया।
आसमानों में ,
टिक गई आंखें ,
प्रकृति से लव हो गया।
कैसा खुशनुमा सा,
हुआ है मौसम,
दिल चिड़िया सा चहक गया।
छटा निराली,
होती बादलों की ,
निराला मौसम लगने लगा।
नाम____निशि द्विवेदी